धनतेरस

धनतेरस या धनत्रयोदशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। ‘धन’ से आशय धन-संपत्ति और ‘तेरस’ यानी तेरहवां दिन। यह दीपावली पर्व का पहला दिन होता है और इसे समृद्धि, सौभाग्य और स्वास्थ्य का दिन माना जाता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई करनी, दीयों से सजावट करनी और नयी वस्तुएं जैसे सोने-चांदी के आभूषण या बर्तन खरीदने की परंपरा है।

धनत्रयोदशी पर माँ लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) और भगवान धनवंतरि (स्वास्थ्य के देवता और आयुर्वेद के जनक) की पूजा आयोजित की जाती है। पूजा के दौरान दीप लगाने और धन प्राप्ति हेतु आसमान की प्राथना की जाती है।

धनतेरस की महत्ता भारत के अनेक हिस्सों में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहराई से जुड़ी हुई है, जिससे यह पर्व न केवल एक धार्मिक उत्सव बनता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक उत्साह का भी कारण है।

धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

धनत्रयोदशी 2025 की तिथि एवं शुभ मुहूर्त निम्न हैं:

तिथि: 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 17 अक्टूबर 2025, शाम 7:23 बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्ति: 18 अक्टूबर 2025, शाम 7:45 बजे

पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 6:44 बजे से 7:42 बजे तक (प्रदोष काल)

खरीदारी का सर्वोत्तम समय: प्रदोष काल के दौरान

यह शुभ समय स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है, अतः पूजा से पूर्व अपने क्षेत्र के ज्योतिष या पंचांग की पुष्टि आवश्यक है।

धनतेरस का महत्व

दीपावली से पहले धरणे का पर्व

धनत्रयोदशी को दीपावली का पहला दिन होने के नाते विशेष महत्व दिया जाता है। यह पर्व घर-परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शुभता लाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन परिवार के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने जैसा होता है।

समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक

धनतेरस के दिन जग में माँ लक्ष्मी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि वे धन, वैभव और सुख की देवी हैं। साथ में भगवान धनवंतरि के पूजन से अच्छा स्वास्थ्य और रोगमुक्ति की कामना होती है। अतः यह पर्व धन व स्वास्थ्य दोनों के लिए समर्पित माना जाता है।

आध्यात्मिक महत्व

धनतेरस की पूजा से जुड़ा आध्यात्मिक पक्ष भी खासा महत्वपूर्ण है। माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर (धन के देवता) की आराधना से घर में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और संतोष आता है। साथ ही तिजोरी में धन रखने की परंपरा घर में आर्थिक स्थिरता का संकेत मानी जाती है।

राजा हिम पुत्र की कथा

कहानी है कि राजा हिम के पुत्र की मृत्यु सर्पदंश से निश्चित थी। पुत्र के विवाह के बाद उसकी पत्नी ने कई दीपक जलाकर जागत की और सोने-चांदी के आभूषण बिछा दिए। यमराज जब सर्प के रूप में उस जगह आए तो दीपों की रौशनी और जागरण की वजह से वापस चले गए। तभी से इस दिन दीप जलाने और जागरण करने की परंपरा है, जिससे मृत्यु और दुर्भाग्य से बचा जा सके।​

समुद्र मंथन और भगवान धनवंतरि

धनतेरस पर भगवान धनवंतरि की पूजा विशेष महत्व रखती है। समुद्र मंथन के समय यह भगवान अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसी समय माता लक्ष्मी ने भी समुद्र से प्रकट होकर समृद्धि का संदेश दिया था। संपन्नता, स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए इस दिन उनकी पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है।​

धनतेरस पूजा विधि

पूजा सामग्री
मां लक्ष्मी, धनवंतरि, कुबेर की प्रतिमा या तस्वीर

दीपक (तेल या घी से भरा)

पुष्प, अक्षत (चावल), दूर्वा घास

जल का कलश, मिठाई, पंचमेवा

नए बर्तन, सोना-चांदी के आभूषण (यदि संभव हो)

पूजा प्रक्रिया

सबसे पहले पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें।

मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।

दीपक प्रज्वलित करके माता लक्ष्मी, धनवंतरि और कुबेर की पूजा करें।

‘ॐ धन्वंतरये नमः’ मंत्र जाप करें।

13 या 21 दीप जलाएं और आरती करें।

प्रसाद वितरित कर परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा का आंनद लें।

पूजा के समय पूरे मन और श्रद्धा से आरती करना, मंत्रजाप करना शुभ परिणाम लाता है।

धनतेरस पर क्या खरीदें?
शुभ वस्तुएं
सोना – चांदी: नयी आभूषण या सिक्के खरीदना परंपरा है। यह धन के आगमन का प्रतीक है।

नये बर्तन: कांसा, पीतल, स्टील के नये बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।

झाड़ू: इसे घर के नकारात्मक प्रभाव दूर करने वाला समझा जाता है।

धनिया बीज: नई समृद्धि के लिए पौधों व बीजों की खरीदारी शुभ होती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, कपड़े: ये भी शुभ माना जाता है।

क्या न खरीदें
टूटी-फूटी या जर्जर वस्तुएं।

लोहे या प्लास्टिक की अशुद्ध वस्तुएं।

जिस वस्तु का उपयोग आने वाले साल में न हो, उसे खरीदना उचित नहीं।

धनतेरस की खरीदारी शुभफल और सकारात्मक ऊर्जा लाती है, इसलिए सावधानीपूर्वक वस्तुओं का चुनाव करें।

धनतेरस शुभकामनाएं और संदेश

“आपके जीवन में धनतेरस की रौशनी समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य लेकर आए। शुभ धनतेरस!”

“माँ लक्ष्मी की कृपा से जीवन में नयी खुशियाँ आएं। धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।”

सोशल मीडिया संदेश: “धनतेरस की दिव्यता से घर जगमगाए, लक्ष्मीजी का आशीर्वाद सदा साथ हो।”

ऐसे संदेश प्रेम, खुशहाली और सामाजिक रिश्तों को मजबूत करते हैं।

धनतेरस से जुड़े रोचक तथ्य
धनतेरस को ‘धनत्रयोदशी’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।

भगवान धनवंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं, इसलिए धनतेरस पर उन्हें विशेष पूजा की जाती है।

यमराज के लिए दीप जलाने की परंपरा अकाल मृत्यु से रक्षा का प्रतीक है।

भारत भर में धनतेरस के दिन सोने-चांदी और बर्तन की बिक्री में भारी वृद्धि होती है, जो आर्थिक महत्त्व भी दर्शाती है।

निष्कर्ष

धनतेरस का पर्व महज धन की प्राप्ति से परे एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक त्योहार है। यह दिन स्वास्थ्य, खुशहाली, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा की कामना का प्रतीक है। इस दिन की पूजा और खरीदारी से परिवार और समाज में आनंद और वैभव आता है। माँ लक्ष्मी और भगवान धनवंतरि की कृपा सभी के जीवन को धन्य बनाएं, यही धनतेरस का सार है।

इसलिए इस धनतेरस पर केवल धन की कामना न करें, बल्कि सकारात्मक सोच, स्नेह और समृद्धि के साथ एक नई शुरुआत करें। दीप जलाएं, नयी वस्तुएं खरीदें और उत्सव का आनंद लें।

धनतेरस FAQs

1. धनतेरस कब मनाया जाता है?
धनतेरस हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो दिवाली से दो दिन पहले पड़ती है।

2. धनत्रयोदशी का महत्व क्या है?
धनत्रयोदशी का मुख्य महत्व धन और समृद्धि से जुड़ा है। इसे धन देवी लक्ष्मी और आयुर्वेद के देवता यमराज की पूजा के लिए मनाया जाता है।

3. धनत्रयोदशी पर क्या पूजा की जाती है?
धनत्रयोदशी पर सोन, चांदी, आभूषण, और नए बर्तन खरीदने के साथ धन और स्वास्थ्य की देवी की पूजा की जाती है।

Author Profile

Krishna Mishra writes for Insights of Hinduism, where he shares heartfelt thoughts on festivals, traditions, and the timeless wisdom of Sanatan Dharma. His aim is to keep the essence of Hindu culture alive in a way that feels simple, authentic, and relatable to everyone.

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