हिन्दू पंचांग में प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व माना गया है, किन्तु मार्गशीर्ष अमावस्या को विशेष रूप से शुभ, पवित्र और पुण्यदायिनी तिथि बताया गया है। मार्गशीर्ष मास स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय माना जाता है और इस मास में आने वाली अमावस्या साधना, पूजा, स्नान, व्रत और दान के लिए अत्यन्त शुभ मानी जाती है। बहुत से लोग इस समय यह प्रश्न पूछते हैं कि अमावस्या कब है। मार्गशीर्ष अमावस्या इन सभी जिज्ञासाओं का मुख्य उत्तर है क्योंकि इस अवधि में अमावस्या के पुण्य कर्मों का प्रभाव साधारण दिनों की तुलना में कहीं अधिक बताया गया है।
इस तिथि का आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक होने के कारण भक्तजन प्रातःकाल स्नान, ध्यान, जप, पितृ-तर्पण, दीपदान और व्रत का पालन करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन किया गया छोटा-सा पुण्य भी कई गुना बढ़कर फल देता है। मार्गशीर्ष अमावस्या न केवल पितरों की तृप्ति का अवसर है बल्कि यह मन और घर में शांति, सौभाग्य और समृद्धि लाने के लिए भी विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या क्या है?
मार्गशीर्ष मास हिन्दू धर्म में पूजा, जप और ध्यान के लिए अत्यन्त शुभ माना गया है। इस महीने में अमावस्या की तिथि उस समय आती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से अदृश्य होता है और सम्पूर्ण रात्रि गहन अंधकार का प्रतीक बनती है। यह तिथि आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष रूप से लाभकारी होती है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन आध्यात्मिक ऊर्जा तीव्र रूप से सक्रिय रहती है।
प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार इस दिन किए गए पितृ-तर्पण, दान-पुण्य और साधना से न केवल वर्तमान जीवन में लाभ मिलता है बल्कि पूर्व जन्मों के दोष भी शांत होते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या की विशेषता यह है कि यह मन को स्थिर करती है, विचारों को सकारात्मक बनाती है और शरीर तथा आत्मा को शुद्ध करती है। इस दिन की साधना का प्रभाव शीघ्र प्राप्त होता है।
इस तिथि का सम्बन्ध अनेक धार्मिक परम्पराओं से जुड़ा हुआ है—जैसे पवित्र स्नान, तुलसी पूजा, दीपदान, पितृ-तर्पण, कृतज्ञता, दान और व्रत। इन सभी क्रियाओं का उद्देश्य मन, घर और जीवन में प्रकाश भरना है।
मार्गशीर्ष अमावस्या २०२५ : तिथि और समय
मार्गशीर्ष अमावस्या २०२५ में नवम्बर मास में पड़ रही है, और इसी कारण बहुत लोग यह पूछते हैं कि नवम्बर की अमावस्या कब है। इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या अत्यन्त शुभ योग लेकर आ रही है। प्रातःकाल स्नान और सायंकाल दीपदान दोनों का विशेष महत्व रहेगा।
चूँकि पंचांग के अनुसार तिथि हर वर्ष बदलती रहती है, इसलिए इस वर्ष आने वाली मार्गशीर्ष अमावस्या को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना और पूरे दिन सात्त्विकता बनाए रखना विशेष रूप से कल्याणकारी माना गया है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
१. देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है
मार्गशीर्ष मास देवी लक्ष्मी का अत्यन्त प्रिय माना गया है। इस दिन नियम, व्रत और श्रद्धा के साथ पूजा करने से घर में धन, सौभाग्य और स्थायी समृद्धि आती है। बहुत से लोग इस तिथि को लक्ष्मी साधना के लिए विशेष मानते हैं।
२. पितृ-तर्पण का अत्यन्त फलदायी प्रभाव
अमावस्या तिथि पितरों के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इस दिन जल और तिल से तर्पण करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। पारिवारिक सुख-शांति और समस्याओं से मुक्ति भी पितृ-कृपा से ही प्राप्त होती है।
३. व्रत का महत्व
व्रत का पालन करने से शरीर शुद्ध होता है और मन में सात्त्विक विचार आते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत विशेष रूप से दीर्घायु, आरोग्य और पाप-नाशकारी बताया गया है।
४. दान का महत्त्व
मार्गशीर्ष अमावस्या पर दान करना सर्वोच्च पुण्य का कार्य माना गया है। इस दिन किया गया दान अनेक गुना फल देने वाला माना गया है।
अन्नदान, जलदान, वस्त्रदान, दीपदान और गौ-सेवा अत्यन्त फलदायी मानी जाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या : पूजा-विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा अत्यन्त सरल है, लेकिन हर कदम का अपना गहरा महत्व है।
१. प्रातःकाल पवित्र स्नान
सूर्योदय से पूर्व स्नान करना इस तिथि का सबसे महत्वपूर्ण नियम माना गया है। यदि सम्भव हो तो पवित्र नदी में स्नान करें; अन्यथा घर में जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
२. घर में शुद्धि
स्नान के बाद घर में दीप जलाकर नकारात्मक ऊर्जा दूर की जाती है। घर और पूजा स्थान को साफ रखना अत्यन्त आवश्यक है।
३. देव-पूजन
• भगवान श्रीहरि, भगवान शिव, देवी लक्ष्मी और कुलदेवता की पूजा
• दीप, धूप, पुष्प, नैवेद्य, तिल और जल का प्रयोग
• शुद्ध मन से ध्यान और मंत्र-जप
४. पितृ-तर्पण
तिल, जल, पुष्प और दूध से पितरों का तर्पण करें।
यह मार्गशीर्ष अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना गया है।
५. दीपदान
सायंकाल तिल या सरसों के तेल का दीप जलाकर नदी, कुआँ, तालाब अथवा घर के बाहर रखें। दीपदान से घर की नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
६. व्रत का पालन
पूरे दिन फलाहार करना और सात्त्विक भोजन लेना उत्तम माना गया है।
स्नान और दान का महत्व
स्नान का आध्यात्मिक प्रभाव
शास्त्रों में उल्लेख है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर स्नान करने से वर्षों के पाप नष्ट होते हैं। मन और शरीर दोनों हल्के और शुद्ध हो जाते हैं। स्नान करने से ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
दान का महत्व
दान को हिन्दू परम्परा में सबसे बड़ा धर्म कहा गया है।
इस दिन किए जाने वाले दान में—
• अन्नदान
• दीपदान
• वस्त्रदान
• जलदान
• गौ-सेवा
अत्यन्त श्रेष्ठ माने गए हैं।
इनका फल मनुष्य को जीवनभर सुख, समृद्धि और मानसिक संतोष प्रदान करता है।
क्या करें और क्या न करें
✔ इस दिन क्या करें
• प्रातःकाल स्नान
• देव-पूजन
• दीपदान
• पितृ-तर्पण
• व्रत
• दान
✘ इस दिन क्या न करें
• क्रोध
• असत्य
• नशा
• तामसिक भोजन
• किसी का अपमान
• झूठे शब्द
• देर तक सोना
इन नियमों का पालन करने से इस तिथि का फल कई गुना बढ़ जाता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार अमावस्या का चन्द्रमा पर विशेष प्रभाव होता है, और चन्द्रमा मन का कारक माना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन मन को स्थिर रखने, ध्यान करने और आध्यात्मिक अभ्यास करने से मानसिक शक्ति बढ़ती है।
ज्योतिष के अनुसार—
• पितृ-दोष शांत होता है
• ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव कम होता है
• घर के विवाद, रुकावटें और बाधाएँ दूर होती हैं
• आर्थिक उन्नति के संकेत बढ़ते हैं
अनेक लोग इस दिन विशेष लक्ष्मी-पूजन भी करते हैं ताकि धन-संबंधी समस्याएँ समाप्त हों।
सामान्य प्रश्न
१. नवम्बर की अमावस्या कौन सी होती है?
मार्गशीर्ष अमावस्या ही इस समय आने वाली प्रमुख अमावस्या मानी जाती है।
२. अमावस्या कब है?
पंचांग के अनुसार इस समय मार्गशीर्ष अमावस्या आती है।
३. इस महीने की अमावस कब है?
यह इसी अवधि में आने वाली अमावस्या है, जो धार्मिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
४. क्या इस दिन व्रत आवश्यक है?
व्रत करने से पुण्य बढ़ता है, परन्तु यह पूरी तरह वैकल्पिक है।
५. पूजा करने का सर्वोत्तम समय क्या है?
प्रातःकाल स्नान के बाद पूजा और सायंकाल दीपदान श्रेष्ठ माने गए हैं।
निष्कर्ष
मार्गशीर्ष अमावस्या हिंदू समाज में अत्यन्त पवित्र और कल्याणकारी तिथि मानी जाती है। इस दिन की गई पूजा, दान, व्रत और पितृ-तर्पण से मनुष्य को आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ पारिवारिक सुख-शांति, आर्थिक स्थिरता और मानसिक संतोष मिलता है। यह तिथि न केवल धर्म के निकट ले जाती है बल्कि मनुष्य को अपने पितरों, देवताओं और प्रकृति के प्रति कृतज्ञ बनाती है।
जो लोग अक्सर यह पूछते हैं कि अमावस्या कब है, इस महीने की अमावस कब है, या नवम्बर की अमावस्या कौन सी है, उनके लिए यह मार्गशीर्ष अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण उत्तर के रूप में आती है। यह तिथि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है और व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाती है।
यह दिन हमें पवित्रता, धैर्य, श्रद्धा और साधना का वास्तविक संदेश देता है। जो व्यक्ति नियम और श्रद्धा से इस तिथि का पालन करता है, उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं।
Krishna Mishra writes for Insights of Hinduism, where he shares heartfelt thoughts on festivals, traditions, and the timeless wisdom of Sanatan Dharma. His aim is to keep the essence of Hindu culture alive in a way that feels simple, authentic, and relatable to everyone.

