first day of navratri

नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित है। हर दिन की एक-देवी होती है और पहले दिन से ही अनेक विधियाँ, कहानियाँ और आध्यात्मिक महत्व जुड़ा होता है। नीचे “नवरात्रि के प्रथम दिन” (चैत्र या शारदीय दोनों में) का एक सम्यक और शोध-आधारित ब्लॉग प्रस्तुत है:

नवरात्रि के प्रथम दिन का परिचय

  • नवरात्रि शब्द दो शब्दों से बना है — “नव” (नौ) और “रात्रि” (रातें) — अर्थात् नौ रातें। ये नौ दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और उपासना के लिए समर्पित होते हैं।
  • प्रथम दिन की तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि या शारद-नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि होती है।
  • इस दिन से माँ दुर्गा का आराधना-व्रत प्रारंभ होता है, जिसमें श्रद्धा, शुद्ध मन और जीवन में सकारात्मकता की कामना की जाती है।

देवी शैलपुत्री का स्वरूप और पौराणिक कथा

  • प्रथम दिन की देवी माँ शैलपुत्री होती हैं। “शैल” अर्थात पर्वत, “पुत्री” अर्थात पुत्री — अर्थात् हिमालय की पुत्री।
  • पौराणिक कथा के अनुसार, शैलपुत्री वही सती हैं जो दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। दक्ष-यज्ञ की घटना के पश्चात् सती आत्मदाह कर देती हैं। अगले जन्म में सती हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेती हैं और उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
  • वे शांत, सौम्य, दृढ़ और संयमी देवी मानी जाती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे में कमल। उनका वाहन वृषभ (बैल) है।

प्रथम दिन की पूजा-विधि और अनुष्ठान

  1. स्वच्छता एवं प्रातः स्नान
    सुबह जल्दी उठें, शुद्ध स्नान करें, मन और शरीर को पवित्र बनायें।
  2. कलश स्थापना (घटस्थापना)
    प्रथम दिन की शुरुआत घटस्थापना से होती है। एक मिट्टी या तांबे का कलश लें, उसमें जल भरें, मुंह पर पत्तियाँ लगायें (आम-पत्ते या तिलोत्तरा आदि), नारियल रखें। कलश को देवी का निवास समझा जाता है।
  3. पूजा स्थान की सजावट
    पूजा की चौकी साफ करें, माता की मूर्ति या फोटो स्थापित करें, लाल या सफेद वस्त्र बिछायें, फूल-फुल्लार से सजायें।
  4. पूजा सामग्री एवं भोग
    देवी को दीप, धूप, अगरबत्ती, अक्षत (चावल), फलों, फूलों से अर्पित करें। भोग के रूप में विशेषतः दूध, घी, खीर या मीठे पकवान बनाए जाते हैं।
  5. मंत्र जाप और स्तुति
    “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” जैसे बीज-मंत्रों का जाप करें। अन्य स्तोत्र-पाठ, दुर्गा चालीसा या अन्य पाठ भी हो सकते हैं।
  6. व्रत एवं संयम
    अधिकांश भक्त इस दिन उपवास रखते हैं या भोजन में कुछ विशेष प्रतिबंध रखते हैं जैसे कि अनाज, लहसुन-प्याज का परित्याग आदि।

प्रथम दिन के शुभ रंग, मुहूर्त व अन्य मान्यताएँ

  • शुभ मुहूर्त: नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के लिए विशेष मुहूर्त निर्धारित होते हैं, ज्योतिष एवं पंचांग के अनुसार।
  • शुभ रंग: लाल रंग पहले दिन के लिए बहुत प्रिय माना जाता है क्योंकि ये शक्ति, ऊर्जा, शुभता का प्रतीक है।
  • प्रथम दिन की पूजा करने से कहा जाता है कि भक्त को मानसिक स्थिरता, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में नई शुरुआत का आशीर्वाद मिलता है।

आध्यात्मिक अर्थ और संदेश

  • माँ शैलपुत्री का स्वरूप हमें सिखाता है कि हमें जीवन में कठिनाइयों (पर्वतों) के सामने दृढ़ता से खड़े होना चाहिए। चाहे संकट हो, संघर्ष हो, हमें धैर्य, संयम और शक्ति के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
  • पहले दिन से ही मन और आत्मा को शुद्ध करना ज़रूरी है — क्योंकि अन्य दिन भी यही भावना बनी रहेगी। यह आंतरिक परिवर्तन का आरंभ है।
  • व्रत और उपासना से आत्म-नियंत्रण, त्याग और सहनशीलता की भावना बढ़ती है, जो कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष

नवरात्रि का पहला दिन सिर्फ एक धार्मिक प्रारंभ नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है — शुद्ध हृदय से, सादगी से, भक्ति से आरंभ, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हो सकें। माँ शैलपुत्री की पूजा हमें सिखाती है कि हम अपने जीवन के “पर्वतों” को पार कर सकते हैं यदि हमारे अंदर दृढ़ निश्चय, अडिग विश्वास और संयम हो।

Author Profile

Krishna Mishra writes for Insights of Hinduism, where he shares heartfelt thoughts on festivals, traditions, and the timeless wisdom of Sanatan Dharma. His aim is to keep the essence of Hindu culture alive in a way that feels simple, authentic, and relatable to everyone.

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